इससे पहले बुध 2006 में सूर्य के सामने से गुजरा था। अगली बार यह नजारा भारत में 2032 में देखा जा सकेगा
आज बुध (मरकरी) सूर्य के सामने से गुजरेगा। साइंटिस्ट्स ने शाम 4.42 के बाद सूर्य के तरफ न देखने की वॉर्निंग दी है। इसको देखने पर आपकी आंखों पर
बुरा असर पड़ सकता है। कई साइंटिस्ट्स इससे परमानेंट रोशनी खोने की बात भी कह रहे
हैं। बता दें कि सूर्य के सामने से बुध के गुजरने की घटना 100 सालों में 13 बार होती है। बुध को सूर्य को क्रॉस करने में करीब साढ़े
सात घंटे लगेंगे...
-
चंडीगढ़ की
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के फिजिक्स डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर संदीप
सहजपाल के मुताबिक, इसको देखने पर आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़
सकता है।
-
सोमवार शाम 4 बजकर 42 मिनट से सूर्य अस्त होने तक में बुध के सूर्य
के सामने से गुजरने (ट्रांजिट ऑफ मर्करी) का असर रहेगा।
- डॉ. सहजपाल के
मुताबिक, इस दौरान मर्करी सूरत के आगे से क्रॉस करेगा।
मर्करी को सूरज के आगे से क्रॉस करने पर साढ़े सात घंटे लगेंगे लेकिन भारत में ये 4 बजकर 42 मिनट के बाद 7 बजकर 6 मिनट पर सूर्य अस्त होने तक असरदार रहेगा।
क्या है ट्रांजिट ऑफ मर्करी?
-
सौरमंडल का सबसे
छोटा प्लेनेट बुध के सूरज के आगे से क्रॉस करने को ट्रांसिट ऑफ मर्करी कहते हैं।
- इस दौरान सूर्य
के आगे काले रंग का छोटा सा धब्बा नजर आएगा।
खुली आंखों से
देखना हो सकता है खतरनाक
-
सूर्य के आगे से
बुध के क्रॉस होते होने इससे एनर्जी निकलती है। इस एनर्जी को देखने पर हमारी आंखें
सहन नही कर पाती।
- इस एनर्जी की
वजह से आंखों का रेटिना पूरी तरह डैमेज हो सकता है।
-
आमतौर पर बीमारी
या किसी चोट से डैमेज होने वाले रेटिना को ठीक किया जा सकता है। लेकिन ट्रांजिट ऑफ
मर्करी से डैमेज रेटिना ठीक नहीं हो सकता।
- डॉ. संदीप
सहजपाल के मुताबिक, इस घटना को केवल सोलर फिल्टर वाली दूरबीन से
ही देखा जा सकता है। चश्मे से भी देखने पर बुरा असर पड़ सकता है।
अगली बार 2032 में दिखेगा ट्रांजिट ऑफ मर्करी
-
भारत में 2032 में मई और नवंबर के महीने में ट्रांजिट ऑफ मर्करी देखा जा सकेगा।
- भारत में इससे
पहले 6 नवंबर 2006 को ट्रांजिट ऑफ
मर्करी हुआ था। लेकिन नॉर्थईस्टर्न राज्यों में यह सूर्योदय के समय ही यह दिखा था।
- अगला ट्रांजिट
ऑफ मर्करी 11 नवंबर 2019 को होगा। लेकिन
भारत में सूर्यास्त होने की वजह ये नहीं दिखेगा।
- चंडीगढ़ के घटना
पर फिल्टर नजर इस खगोलीय घटना को पीयू का फिजिक्स डिपार्टमेंट ऑब्जर्व करेगा। डॉ.
संदीप सहजपाल बताते हैं कि इस घटना को देखने के लिए पीयू में इंतजाम किए गए हैं।
साइंटिस्ट ऑब्जर्व करेंगे कि ट्रांजिट ऑफ मर्करी के समय कितनी एनर्जी निकलती है।
साइंटिस्ट्स के लिए क्या है मौका?
-
बुध के सूर्य के
सामने से गुजरने के दौरान साइंटिस्ट्स ये जानने की कोशिश करेंगे कि स्टार्स-प्लेनेट
स्पेस में कैसे मूवमेंट करते हैं।
- नासा ने इसकी
स्टडी के लिए 3 टेलिस्कोप लगाए हैं।
- नासा के
प्रोग्राम मैनेजर लुई मेयो के मुताबिक, 'स्पेस में जब दो
प्लेनेट या स्टार्स नजदीक आते हैं तो साइंटिस्ट्स काफी एक्साइटेड होते हैं। इससे
हमें काफी कुछ जानने-समझने का मौका मिलेगा।'
- 'बुध के ट्रांजिट
से वहां के एटमॉस्फियर को जानने में मदद मिलेगी।
-
नासा के मुताबिक, बेहद गर्म होने के चलते बुध में एटमॉस्फियर नहीं है। दूसरे शब्दों में ये भी
कह सकते हैं कि बुध का वायुमंडल काफी पतला है। गैसें यहां रुक ही नहीं पातीं।
1631 में पहली बार लगा था पता
-
बुध के सूर्य के
सामने से निकलने का पहली बार पता 1631
में लगा था।
- इस घटना से
एस्ट्रोनॉमर्स को बुध की सरफेस और धरती की सूर्य से दूरी का पता लगाने में मदद
मिलती है।
- मेयो के मुताबिक, '1631 में जब पहली बार बुध का सूर्य के सामने से गुजरना देखा गया, उस वक्त आज की तुलना में काफी छोटे टेलिस्कोप थे। आज की टेक्नोलॉजी की मदद से
बुध की ट्रांजिट से स्पेसक्राफ्ट और इन्स्ट्रूमेंट्स का टेस्ट किया जा सकेगा।'
- नासा के एक अन्य
साइंटिस्ट डीन पेसनेल के मुताबिक,
'जब हम किसी बेहद
चमकीली चीज के सामने कुछ देखते हैं तो वह धुंधली हो जाती है। चमकदार लाइट एक तरह
की धुंध पैदा करती है। सूर्य के सामने आने पर बुध भी एकदम काला नजर आएगा। लेकिन हम
इंस्ट्रूमेंट्स ऐसे सेट कर रहे हैं ताकि हम धुंध को कम कर सकें।'